मुंबई: स्टॉक मार्केट एक ऐसी दुनिया है, जहां लाखों लोग करोड़पति बनने का सपना देखते हैं। स्टॉक मार्केट के इतिहास में अब तक सबसे बड़े महाघोटाले हर्षद मेहता कांड के ऊपर बनी फिल्म द बिग बुल का ट्रेलर शुक्रवार को रिलीज हो गया है। टीजर की तरह ही फिल्म का ट्रेलर भी धमाकेदार है और फिल्म को लेकर उत्सुकता जगाता है। अभिषेक बच्चन फिल्म में लीड रोल में हैं और हेमंत शाह के किरदार वह खूब जम भी रहे हैं। उन्हें देखकर एकबारगी गुरु फिल्म की भी याद आ जाती है। जबकि ट्रेलर में कैरी मिनाती का भी ट्विस्ट है। कैरी मिनाती के सॉन्ग यलगार को ट्रेलर में शामिल किया गया है, जो माहौल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ता।
अजय देवगन द बिग बुल के को-प्रड्यूसर हैं। उन्होंने ट्विटर पर इस ट्रेलर को शेयर किया है। करीब तीन मिनट के इस ट्रेलर में अभिषेक बच्चन, इलियाना डिक्रूज और सौरभ शुक्ला जैसे ऐक्टर्स अपना दम दिखाते हैं। बैकग्राउंड में कैराती मिनाती का गाना बजता है- एक कहानी है जो सब को सुनानी है… ट्रेलर देखकर दो बातें साफ हो जाती हैं। पहली ये कि फिल्म के लिए खूब रिसर्च की गई है और दूसरी यह कि डायलॉग्स बूते फिल्म को लार्जर दैन लाइफ बनाने की पूरी तैयारी है।
ट्रेलर के ओपनिंग सीक्वेंस में ही एक डायलॉग है- इस देश में हम कुछ भी कर सकते हैं… बस एक रूल है कि पकड़े नहीं जा सकते। हर्षद मेहता की एक सच्ची कहानी पर बेस्ड इस फिल्म का यही मूल मंत्र है। हर्षद मेहता की जिंदगी का भी यही मूलमंत्र था। हर्षद मेहता ने करीब 4025 करोड़ रुपये का घोटाला किया था। लग्जरी गाड़ियों के काफिले में चलने वाले हर्षद मेहता के कद का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि जब उसके घोटाले का भंडाफोड़ हुआ तो उसने यहां तक दावा किया था कि उसने तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव को 1 करोड़ रुपये की रिश्वत दी थी। हालांकि, यह बात कभी पुष्ट नहीं हो पाई।
हर्षद मेहता ने घोटाला नहीं, महाघोटाला किया था। आरबीआई के अनुमान के मुताबिक, यह घोटाला करीब 4025 करोड़ रुपये का था। हर्षद खुद मुंबई में रहते थे। लेकिन जब घोटाले का पर्दाफाश हुआ तो इसकी जद में दिल्ली स्थित प्रधानमंत्री आवास भी आ गया। हर्षद मेहता ने खुद दावा किया था उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव को 1 करोड़ रुपये रिश्वत दी थी। गुजरात के एक आम परिवार में जन्म लेने वाला हर्षद शांतिलाल मेहता कैसे दलाल स्ट्रीट का श्बिग बुलश् बन गया, इसकी कहानी दिलचस्प भी है और रोमांचक भी।
नब्बे का दशक ग्लोबलाइजेशन के लिए जाना जाता है। हिंदुस्तान बदल रहा था। डॉ. मनमोहन सिंह वित्त मंत्री थे और पीवी नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री। नई आर्थिक नीति लागू की गई। हिंदुस्तान के दरवाजे दुनिया के लिए खोल दिए गए। प्राइवेटाइजेशन को बढ़ावा दिया गया। लेकिन इसी बीच 1992 में हर्षद मेहता के महाघोटाले का पर्दाफाश हुआ। एक ऐसा अपराध, जिसके बाद देश में इसके लिए अलग से कानून और यहां तक सेबी के नाम से नियामक संस्था तक बनानी पड़ गई, जो स्टॉक मार्केट के कारोबार पर नजर रख सके।
गुजरात के राजकोट में 29 जुलाई 1954 को जन्मे हर्षद मेहता ने तब बीकॉम की पढ़ाई पूरी की थी। वह मुंबई में एक बीमा कंपनी में नौकरी कर रहे थे। लेकिन इसके कुछ बाद ही उन्होंने बीमा कंपनी छोड़ स्टॉक मार्केट के लिए काम करने का निर्णय किया। हर्षद ने एक ब्रोकरेज फर्म में नौकरी शुरू। प्रसन्न परिजीवनदास से हर्षद मेहता ने स्टॉक मार्केट की एबीसीडी सीखी। 1984 में उसने खुद की कंपनी शुरू की और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज की मेंबरशिप ली। 90 के दशक में एंट्री लेते-लेते हर्षद मेहता स्टॉक मार्केट का किंग बन गया। लेकिन सवाल ये है कि यह सब हुआ कैसे?
दलाल स्ट्रीट पर 80-90 के दशक में चलने वाला हर शख्स हर्षद मेहता बनना चाहता था। वजह थी उसकी बेतहाशा तरक्की। लग्जरी गाड़ियों का काफिला और मिलने वालों का तांता। हर्षद मेहता की यही पहचान थी। हर्षद मेहता के काम करने का तरीका क्या था, इसमें हर किसी की दिलचस्पी थी। ऐसा इसलिए कि वह जिस शेयर को भी छूते उसकी कीमतें आसमान छूने लगतीं। इसे बस इस बात से समझ लीजिए कि जिस कंपनी के जिस शेयर को हर्षद मेहता ने 200 रुपये में खरीदा था, वह कुछ ही दिनों में 9000 रुपये तक पहुंच गया।
यह सब हर किसी के लिए सपनों जैसा था, जबकि इसके पीछे की कहानी के तार बैंक फ्रॉड से लेकर सियासी खेमे तक से जुड़े हुए थे। हर्षद मेहता के घोटाले का खुलासा टाइम्स ऑफ इंडिया की पत्रकार सुचेता दलाल ने किया था। सुचेता ने इसके बाद देबाशीष बासु संग ‘द स्कैम’ नाम की किताब भी लिखी, जिस पर हाल ही हंसल मेहता की टीवी सीरीज 1992 द स्कैम और द बिग बुल बन रही है।
हर्षद मेहता के इस घोटाले का सबसे बड़ा फॉर्मूला था बैंक से 15 दिनों का ऐसा कर्ज, जो कागजों पर संभव ही नहीं था। कोई भी बैंक 15 दिनों के लिए कर्ज नहीं देती। लेकिन हर्षद मेहता के केस में यह बात सामान्य थी। यानी स्टॉक खरीदने और बेचने के लिए हर्षद मेहता को कभी पैसे की कमी हुई ही नहीं। असल में हर्षद मेहता बैंकिंग सिस्टम के उस झोल को जानते थे, जहां उन्होंने तगड़ी सेटिंग कर अपनी पैठ बना ली।
बैंकों को जब भी कैश की जरूरत होती है तब वह अपना सरकारी बॉन्ड दूसरे बैंक के पास गिरवी रख कर पैसे लेते हैं। जबकि असलियत में बॉन्ड का लेनदेन नहीं होता। एक रसीद के बूते ही काम चल जाता है और यह सब बिचैलियों के जरिए होता है। हर्षद मेहता ने इसी नब्ज को अपना हथियार बनाया था। हर्षद मेहता बैंक से 15 दिन का कर्ज लेते थे और फिर पैसा लौटा देते थे। इसे ऐसे समझिए कि उन्होंने 15 दिनों का अवैध कर्ज लेकर स्टॉक खरीदे और फिर करोड़ों का मुनाफा कमाकर 15 दिन बाद वह पैसा बैंक को लौटा दिया।
हर्षद मेहता के करोड़ों के मुनाफे के बिजनेस को उस वक्त पहला झटका लगा, जब शेयर बाजार धड़ाम हुआ। वह बैंक को कर्ज लौटा नहीं पाए और तब इस कांड का भंडाफोड़ हुआ। देबाशीष बासु ने अपने एक लेख में लिखा था, श्इस घोटाले की समस्या हर्षद मेहता नहीं, बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था थी। सुचेता दलाल की रिपोर्ट ने हर्षद मेहता को सीधे जमीन पर लाकर पटक दिया। बात इतनी बढ़ गई कि संसद में हंगामा हो गया।
मामले की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति बनाई गई। सीबीआई ने हर्षद मेहता और उनके दोनों भाइयों अश्विन और सुधीर को गिरफ्तार कर लिया। उन पर 72 आपराधिक मामले और 600 से ज्यादा दीवानी मामले दर्ज हुए। हर्षद मेहता ने इस बीच एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ऐसे दावे किए, जिसने हिंदुस्तान की नींव हिला दी। हर्षद मेहता ने कहा कि उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव को 1 करोड़ रुपये की रिश्वत दी थी।
सरकार ने आरापों को खारिज कर दिया। पैसे वाकई दिए गए थे या नहीं, इसकी पुष्टि कभी नहीं हुई। लेकिन कांग्रेस सरकार की खूब मिट्टी पलीत हुई। हर्षद मेहता जेल चले गए। लेकिन जब जमानत मिली तो दोबारा से अपना वही धंधा शुरू कर दिया। उन्हें एक के बाद एक कई मामलों में जमानत मिलने लगी। लेकिन फिर 2001 में हर्षद मेहता दोबारा गिरफ्तार हुए। किस्मत ने इस बार उनका साथ नहीं दिया और 31 दिसंबर 2001 को जेल में ही दिल का दौरा पड़ने से हर्षद मेहता की मौत हो गई। साल 2006 में हर्षद मेहता केस का भंडफोड़ करने वाली पत्रकार सुचेता दलाल को सरकार ने पद्मश्री से सम्मानित किया।
द बिग बुल में इलियाना डीक्रूज उस पत्रकार की भूमिका में हैं, जिन्होंने हर्षद मेहता कांड का पर्दाफाश किया था। उनके अलावा ट्रेलर में निकिता दत्ता, सौरभ शुक्ला, महेश मांजरेकर, सोहम शाह, राम कपूर और सुप्रिया पाठक की भी झलक देखने को मिलती है। द बिग बुल पूरी तरह से अभिषेक बच्चन की फिल्म है। उन्होंने गुरु फिल्म में एक बिजनेसमैन की भूमिका निभाई थी जो असल जिंदगी में धीरूभाई अंबानी से प्रेरित बताया जाता है। द बिग बुल में अभिषेक बच्चन कुछ उसी अंदाज में लार्जर दैन लाइफ इमेज लेकर आए हैं।
द बिग बुल को कूकी गुलाटी ने डायरेक्ट किया है। अजय देवगन, आनंद पंडित, कुमार मंगत पाठक और विक्रांत शर्मा इसके प्रड्यूसर हैं। यह फिल्म ओटीटी प्लेटफॉर्म डिज्नी हॉटस्टार पर 8 अप्रैल 2021 को रिलीज होगी। बीते दिनों इसी विषय पर एक वेब सीरीज स्कैम 1992 भी आई थी। जाहिर है ऐसे में द बिग बुल की तुलना इस वेब सीरीज से भी होगी। फिलहाल, ट्रेलर देखकर इतना तो जरूर कहा जा सकता है कि यह दमदार है। बाकी फिल्म जब रिलीज होगी, तब सही मायने में पता चलेगा कि यह दर्शकों के दिल में कितनी उतरी है।