रायपुर: चिकित्सा प्रकोष्ठ छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष डॉ राकेश गुप्ता ने कहा कि केंद्र सरकार का 2021 का बजट स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत निराशाजनक है। आंकड़ों के इस में खेल वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण में कहा है कि केंद्रीय स्वास्थ्य बजट के प्रावधानों में 137 प्रतिशत वृद्धि की गई है लेकिन इसमें कुछ अन्य प्रावधान स्वास्थ्य के बजट में मिला दिए गए हैं। जिसमें वायु प्रदूषण, जल जीवन मिशन, सुपोषण अभियान ,टीकाकरण अभियान के 35 हजार करोड़ और शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में पीने के पानी के 60 हजार करोड़ अलग-अलग मद शामिल हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य बजट प्रावधान पिछले साल के 69000 करोड़ से इस वर्ष कुल 79000 हैं जो केवल 7 प्रतिशत वृद्धि दर्शता है जबकि पिछले वर्ष इसमें 3.75 प्रतिशत बढ़ोतरी की गयी थी। इस वर्ष के कुल स्वास्थ्य बजट में जो अन्य मद के खर्च शामिल किए गए हैं उसमें ध्वनि प्रदूषण ,वाहनों के स्वैच्छिक तिलांजलि ,राष्ट्रीय जल मिशन, राष्ट्रीय पोषण अभियान, तरल वेस्ट मैनेजमेंट के खर्च शामिल किए गए हैं, इन बजट प्रावधानों का 60 प्रतिशत केंद्र सरकार और 40 प्रतिशत राज्य सरकारों को वहन करना होता है।
पिछले वर्ष स्वास्थ्य के बजट में 3.75 प्रतिशत वृद्धि की गई थी और इस वर्ष इस वर्ष यह वृद्धि मात्र 7 प्रशित है। केंद्रीय स्वास्थ्य बजट में 49000 करोड़ रुपए आवश्यक रूप से केंद्रीय वित्त आयोग द्वारा अनुशंसा के कारण शामिल किए गए हैं जो साफ पानी और सुपोषण अभियान के लिए रखे जाने थे। इस वर्ष आयुष्मान भारत योजना में मात्र 6400 करोड रुपए का बजट प्रावधान किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा शुरू की गई अति महत्वकांक्षी आयुष्मान प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना में 50 करोड़ परिवारों के लक्ष्य से अभी यह योजना केवल 13.5 करोड़ परिवारों तक पहुंच पाई है ऐसा लगता है कि यह योजना अब बद-इंतजामी का शिकार हो गई है।
कोरोना संक्रमण काल ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में रिसर्च के मुद्दे को बहुत गंभीरता से रेखांकित किया है कोरोना वैक्सीन नेशनल इंस्टीट्यूट आॅफ वायरोलॉजी पुणे का रिसर्च प्रोडक्ट है। पिछले वर्ष के मुकाबले वायरोलॉजी रिसर्च के प्रोग्राम को केवल 2663 करोड़ रुपए दिए गए हैं जो मात्र 500 करोड़ रुपए की वृद्धि है।
बहुत जोर शोर से शुरू की गई आत्मनिर्भर स्वस्थ भारत योजना में 64180 करोड रुपए दिए गए हैं जो अगले 6 वर्षों के लिए होंगे यदि हर वर्ष 10000 करोड रुपए इस योजना में मान लिया जाए तो यह बहुत छोटी राशि है।
केंद्रीय स्वास्थ्य बजट में 17000 ग्रामीण और 11000 शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को पुख्ता इंतजाम देने की बात कही गई है लेकिन कोरोना संक्रमण काल में यह सब इंतजाम अधूरे रह गए इसलिए इसमें जो राशि प्रदान की गई है वह ऊंट के मुंह में जीरा है।