दंतेवाड़ा: नक्सलियों के गढ़ की तस्वीर अब बदलने लगी है। लोग जहां अब बच्चों को स्कूल भेज रहे हैं, वहीं नए-नए आइडिया से स्वालंब बनने की ओर भी कदम बढ़ा रहे हैं। आत्मनिर्भर बनने के लिए अब दंतेवाड़ा की महिलाएं कपड़ों की सिलाई कर रही हैं और अलग-अलग माध्यमों के जरिए ये पूरे देशभर में बेचने के लिए उपलब्ध कराए जाएंगे। इस गारमेंट फैक्ट्री का नाम उन्होंने डैनेक्स यानी दंतेवाड़ा नेक्स्ट दिया है।
गारमेंट फैक्ट्री से महिलाओं को सशक्त बनाने का प्रयास
हारम में खुले इस फैक्ट्री पर कलेक्टर दीपक सोनी ने बताया कि हम इस जिले को गारमेंट हब बनाने के प्रयास में जुट गए हैं। छत्तीसगढ़ की पहली खुद की गारमेंट फैक्ट्री के जरिए लोगों को स्वालंब बनाने के साथ-साथ रोजगार दिलाने का भी प्रयास किया जा रहा है। अभी फिलहाल इस फैक्ट्री में 300 महिलाएं व पुरूष दो पाली में काम कर रहे हैं। वहीं नए लोगों को प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। फिलहाल यहां मास्क शर्ट और कुर्ता बनाया जा रहा है।
उम्रदराज से लेकर नए पीढ़ी तक कर रही काम
इस फैक्ट्री में काम कर रही 60 वर्षीय कलावती पर काम करने की अलग सी चमक दिखती है। कलावती ने बताया कि उनकी उम्र 60 वर्ष है। वह पहले सिलाई के जरिए परिवार का पालन-पोषण करती थी। बच्चों की शादी हो गयी तो मजदूरी करने लगी। बीमार रहने लगी तो वह काम भी छूट गया। फैक्ट्री में काम मिलने के बाद वह दोगुने उत्साह के साथ काम कर रही हैं। वहीं हारम के संतोष दास मानिकपुरी को भी सिलाई का काम आता था पर वह हाट में काम करते थे। फैक्ट्री खुलने के बाद वह उससे जुड़कर काम कर रहे हैं।
ऐसे मिल रहा है डैनेक्स को मार्केट
आपको बता दें कि शुरूआत में ही डैनेक्स को अच्छा मार्केट मिल गया है। सीआरपीएफ जवानों की वर्दी, एनएमडीसी कर्मचारियों की यूनीफार्म, ट्राइफेड से एमओयू, कपड़े की दूसरी कम्पनियों से भी एमओयू हो चुका है। यही नहीं ऑनलाइन कंपनियां के जरिए भी कपड़ों को बेचने के लिए टाइअप किया गया है। यह भी बता दें कि दंतेवाड़ा में इन दिनों रोजगार के कई अवसर मुहैया करवाए जा रहे हैं। कपड़ों के अलावा लघु वनोपज, हैंडीक्राफ्ट जैसे कई सारे उत्पाद दंतेवाड़ा में बन रहे हैं। ये सब भी डैनेक्स के नाम से ही जाने जाएंगे।