नई दिल्ली: करने वाले सोचने नहीं बैठते कि दुनिया क्या सोचेगी। वो बस ये सोचते हैं हर दम कि उन्हें कुछ करना है। अपने गोल तक पहुंचने के लिए वो कुछ भी करते हैं और उसमें सफलता भी पाते हैं। गुई युना की उम्र 35 वर्ष है। वो चीन की रहने वाली हैं। वो दिव्यांग हैं। उनका एक पैर है ही नहीं। बावजूद इसके वो बॉडीबिल्डिंग करती हैं।
साल 2004 में उन्होंने एथेंस में हुए पैरा ओलंपिक्स में हिस्सा लिया था। बॉडीबिल्डिंग के क्षेत्र में वो नई थी लेकिन फिर भी उन्होंने अक्टूबर में इसमें प्राइज जीता। हाल ही में उन्होंने आईडब्लूएफ बिजिंग 2020 में हिस्सा लिया। इसमें उन्होंने हाई हील शू पहने थे। और वो बिकनी में स्टेज पर नजर आई। लोगों को उनके व्यक्तित्व ने काफी प्रभावित किया।
वो कहती हैं, ‘इस बात की भी संभावना है कि मैंने पहला स्थान अपने मसल्स और प्रोफेशनलिज्म से जीता हो लेकिन स्टेज पर मैं सबसे सामने अपने आत्मविश्वास और साहस के कारण ही खड़ी थी। गुई चीन की रहने वाली हैं। उनकी मां ने ही उन्हें पाला है। पिता का देहांत उनके पैदा होने से पहले ही हो गया था। यहां तक पहुंचने के लिए उन्होंने काफी मेहनत की। 2001 में उन्होंने पैराओलंपिक खेलों में हिस्सा लेना शुरू किया।
जिम में वो रोज घंटों वर्कआउट करती हैं। टिकटॉक पर उनके 200,000 से ज्यादा लोग तो फॉलोअर्स हैं। गुई को ये बात याद भी नहीं है कि स्कूल जाते वक्त एक ट्रक ने उन्हें टक्कर मार दी थी। जिसके बाद उनका एक पैर चला गया। साल 2008 में बिजिंग समर गेम्स और पैराओलंपिक हुए थे। इसमें गुई ने हाई जंप और आर्चरी में भाग लिया था।
उन्होंने बताया कि नौकरी के लिए उन्होंने लगभग 20 कंपनियों में अप्लाई किया था। सबने ही ये कहा कि वो उनकी इमेज से मैच नहीं खाती। वो कहती हैं, ‘मैं उन लोगों से क्या ही कहूं। उनके कारण मुझे मुश्किल दौर देखना पड़ा। इसी वजह से मैं वो बन पाई जो मैं आज हूं।’ गुई जैसे लोगों की कहानी ये बताती है कि हारना मना है।