दिल्ली: मशहूर वकील महमूद प्राचा के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गयी है। उन पर आरोप लगाया गया है कि सरकारी कर्मचारी को उन्होंने अपना काम करने से रोका यही नहीं इसके उसके लिए उन्होंने आपराधिक तत्वों का इस्तेमाल भी किया। आपको बता दें कि प्राचा के ऑफिस में दो दिन पहले दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने छापा मारा था। उन पर फर्जी हलफनामा देने और दंगा पीड़ितों पर झूठा बयान देने के लिए मजबूर करने के आरोप लगे हैं। यही नहीं उन पर यह भी आरोप लगा है कि उन्होंने तीन साल पहले मरे हुए वकील के हस्ताक्षर वाला शपथ पत्र आगे बढ़ाया।
छापेमारी के दौरान प्राचा का लैपटाॅप, कम्प्यूटर सीज किया जा रहा था तब प्राचाा ने इस बात का विरोध किया था। उनका कहना था कि यह ऑर्डर के खिलाफ है। पुलिस उनके सामने लैपटाॅप और कम्प्यूटर तो देख सकती है लेकिन जब्त नहीं कर सकती। इस पूरे छापेमारी का वीडियो भी सामने आया था। पुलिस ने बयान जारी कर बताया था कि जांच के लिए ही अदालत से इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के सर्च वॉरंट लिए गए थे।
आपको बता दें कि महमूद प्राचा सीएए के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले अग्रजों में से एक हैं। 20 दिसंबर 2019 को जामा मस्जिद के बाहर हाथ में अंबेडकर की फोटो लहराते हुए बेहद गुस्से में अपनी बात रखने वाले महमूद प्राचा को हर किसी ने नोटिस किया। वह सुप्रीम कोर्ट में वकील हैं और जामिया मिल्लिया इस्लामिया कैंपस में 15 दिसंबर 2019 को पुलिस की कार्रवाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने वाले वकीलों में से एक थे।
दिल्ली पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित का वकील होने के साथ-साथ वह एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं। सीएए के खिलाफ मुखर हैं और कई टीवी डिबेट्स का हिस्सा बनते रहे हैं।