नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल में भाजपा एक ऐसे नेता की कमी से जूझ रही है, जिसकी समाज के हर तबके में स्वीकार्यता हो। यही वजह है कि भाजपा बंगाल में कई मशहूर शख्सियतों को अपने साथ जोड़ने की कोशिश में जुटी है। इस कड़ी में पूर्व क्रिकेटर सौरव गांगुली भाजपा के लिए एकदम मुफीद साबित हो सकते हैं क्योंकि बतौर क्रिकेटर सौरव गांगुली ने पश्चिम बंगाल में जो लोकप्रियता हासिल की है, उसका कोई सानी नहीं है।
हालांकि भाजपा कि इन कोशिशों को बड़ा झटका लगा है। दरअसल सौरव गांगुली ने फिलहाल राजनीति की पिच पर उतरने से इंकार कर दिया है। टेलीग्राफ की एक रिपोर्ट के अनुसार, सौरव गांगुली ने अपने फैसले से भाजपा लीडरशिप को भी अवगत करा दिया है। गांगुली ने कहा है कि वह अपनी क्रिकेट की जिम्मेदारियों को निभाने में व्यस्त हैं और उसी में खुश हैं। बताया जा रहा है कि सौरव गांगुली ने भाजपा के लिए विधानसभा चुनाव में प्रचार करने से भी इंकार कर दिया है।
बता दें कि बीते दो साल में भाजपा पश्चिम बंगाल में काफी मजबूत हुई है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पार्टी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में 42 में से 18 सीटों पर जीत दर्ज की थी। साथ ही वोट शेयर के मामले में भी सत्ताधारी टीएमसी से सिर्फ 3 प्रतिशत वोट पीछे रही थी।
हालांकि पश्चिम बंगाल की राजनीति में अभी भी सबसे बड़ी नेता टीएमसी चीफ ममता बनर्जी ही हैं। ममता बनर्जी की मास अपील होने के साथ ही अल्पसंख्यक मतदाताओं पर भी खासी अच्छी पकड़ है। ऐसे में विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी को टक्कर देने के लिए भाजपा को भी किसी मास अपील वाले नेता की जरुरत है।