CHHATTISGARH NEWS | 21 हाथियों का दल गरियाबंद शहर से 12 किलोमीटर दूर, चिंगरापगार पहुंचा

  • तीन माह में तीसरी बार बारुका पहुंचा हाथी दल
  • 2 किसानों की लारी और 6 खेत को पहुंचाया नुकसान

फारूक मेमन

गरियाबंद: 21 हाथियों का दल जिला मुख्यालय गरियाबंद से महज 12 किलोमीटर दूर जिंगरा प्रगार झरने के करीब पहुंच गया है बीती रात इस हाथी दल ने 25 किलोमीटर का सफर किया और तौरंगा से होते हुए तूयामोड़ा के जंगल पहुंचा सुबह 6:00 बजे हाथियों की सेटेलाइट लोकेशन टूयामोड़ा के जंगल में थी


किसानों के खेत में बनी लारी को भी पहुंचाया नुकसान

यहां 2 किसानों के खेत में बनी लारी को नुकसान पहुंचाने के बाद हाथी है 6 किसानों के खेतों को नुकसान पहुंचाते हुए गज पल्ला झरने के पास से होते हुए गहंदर के ऊपर की पहाड़ी पर इस वक्त मौजूद है ऐसी आशंका है कि यह हाथी दल आज शाम पुनः नेशनल हाईवे और पैरी नदी पार कर धमतरी जिले में जा सकता है वैसे दुबारा पहुंचे चंदा हाथी के दल पर बारूका के सरपंच तथा हाथी मित्र लगातार नजर बनाए हुए हैं वन विभाग भी पहले से इसकी आशंका के चलते मसाल आदि बनाकर पूरी तरह तैयार रखा हुआ है कल ही वन विभाग ने 9 गांवों में जंगल ना जाने और सतर्क रहने के लिए मुनादी करा दी थी जिन छह गांवों में मुनादी कराई गई उनमें टोयामोड़ा बारूका गहनदर पटोरा घुट्कु नवापारा और बहराबूढ़ा शामिल है


हाथी दल ने पहुंचाया खेतों में नुकसान

अधिकारियों का कहना है कि हाथी दल अपने स्वभाव के अनुसार जिस मार्ग पर पहले आया था उसी मार्ग पर चल रहा है वैसे सूचना मिलते ही कर्मचारियों को नुकसान का जायजा लेने भेजा गया है अभी खेतों में नुकसान की ही सूचना मिली है घटनास्थल पर पहुंचने पर लारी आदि के नुकसान का पता चलेगा मगर ग्रामीणों ने बताया कि है किसानों के खेतों को रौंदा के अलावा इन 21 जंगली हाथियों के दल ने नरेश भूरिया और राम कुमारी कमार के खेतों मैं बने लारी को भी बुरी तरह नुकसान पहुंचाया है वहां रखे पैरा को बिखेर दिया कुछ पैरे खाए वहीं खेतों में खड़े धान के पौधे को इनके चलते काफी नुकसान हुआ है।

तीन माह में तीसरी बार पहुंचा हाथी दल- सरपंच छत्रपाल कुंजाम

ग्रामीणों ने इस नई विशालकाय मुसीबत से मुक्ति दिलाने की मांग वन अधिकारियों से करने का फैसला लिया है बारूका के सरपंच छत्रपाल कुंजाम का कहना है कि यह 21 हाथियों का दल तीन माह में तीसरी बार पहुंच कर हमारे ग्राम पंचायत में विचरण कर रहा है कोरोना के डर से शहर गरियाबंद नहीं जा पा रहे हैं और हाथियों के डर से जंगल वनोपज और जड़ी बूटी संग्रह के लिए नहीं जा पा रहे हैं आखिर वन क्षेत्र के लोग जाएं तो जाएं कहां वैसे यह हाथियों का पारंपरिक क्षेत्र नहीं है यहां के लोग हाथियों के व्यवहार को नहीं समझते इसलिए अचानक आमना-सामना होने पर अप्रिय स्थिति बन सकती है पिछले 3 महीने में हाथी तीसरी बार बारूका के जंगल में पहुंचे हैं जो ग्रामीणों को इस बात के लिए चिंतित कर रहा है कि कहीं हाथी इस इलाके को अपना निवास ना बना ले वैसे मैं और हमारी हाथी मित्र की टीम वन विभाग को पूरी तरह मदद कर रही है हम चाहते हैं कि हाथी अपने प्राकृतिक आवास की ओर चला जाए हमारे जंगल को अपना आवास ना बनाएं। ताकि यहां के लोग सालों से जिस तरह निश्चिंत होकर जंगल जाते हैं उन्हें किसी विशालकाय जीव का डर नहीं होता वह वैसा ही बना रहे।

वन विभाग मुस्तैद, 9 गांव में मुनादी कराई गई- एसडीओ मनोज चंद्राकर

हाथियों को गांव में घुसने से रोकने गजराज वाहन पहुंचा बारूका

वही एसडीओ तथा वन परीक्षेत्र अधिकारी गरियाबंद मनोज चंद्राकर का कहना है कि कल शाम कोही आसपास के संभावित गांवों में मुनादी करा दी गई थी की हाथी दल तौरंगा बांध के पास मौजूद है और जिस तरह इस रास्ते से ही हाथी महासमुंद लौटे थे पुनः उसी रास्ते पर चल रहे हैं इसलिए इस इलाके में आने की आशंका है ग्रामीण सतर्क रहें जंगल अकेले ना जाए श्री चंद्राकर ने बताया कि बड़ी संख्या में मसाल बनाकर रख ली गई है मगर इनका उपयोग तभी किया जाएगा अगर हाथी दल किसी गांव में घुसने का प्रयास करेगा। अन्यथा जंगल में हाथियों को जरा भी डिस्टर्ब नहीं किया जाएगा उन्हें स्वच्छंद विचरण करने दिया जाएगा जिन 6 गांव की और हाथी के जाने की आशंका है वहां अलग-अलग 1 कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है सभी नजर बनाए हुए हैं इसके अलावा सेटेलाइट से भी हाथी दल पर नजर रखा जा रहा है चंदा हाथी के गले में बंद है रेडियो कॉलर से हर 4 घंटे में उनकी एग्जैक्ट लोकेशन हमें मिल जाती है। वैसे हमने गजराज वाहन भी बुलवा रखा है हाथी दल को किसी गांव में घुसने से रोकने के लिए इसका उपयोग किया जाएगा। गांव-गांव में बनाए गए हमारेे हाथी मित्र दल भी पूरी सक्रियता हाथियों से लोगों को दूर रखने में मदद कर रहे हैं हाथी मित्र दल बनाने का फायदा अब दिखने लगा है दल जिस इलाकेे में हाथी होता है वहां के ग्रामीणों को जंगल जाने से रोकताा है ताकि हाथी और मनुष्य दोनों एक दूसरे से पूरी तरह सुरक्षित रहे। बारूका गांव का हाथी मित्र दल काफी बेहतर मदद कर रहा है दल के छत्रपाल कुंजाम भी वन कर्मचारियों तरह सक्रिय होकर तत्काल घटनास्थल पर पहुंच वास्तविक नुकसान से पीड़ित परिवारों को मुआवजेे का प्रकरण बनवानेे में मदद कर रहे हैं

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