मुंबईः बीते पांच-छह वर्ष में हिंदी फिल्मों को साउथ के तमिल-तेलुगु सिनेमा से मल्टीप्लेक्सों में कड़ी टक्कर मिली है। कोरोना से पहले यह संकेत साफ दिखने लगे थे कि हिंदी का दर्शक साउथ के सिनेमा की तरफ आकर्षित हो रहा है और उसकी पसंद बदलने लगी है। जबकि कोरोना के बाद बिल्कुल साफ हो गया कि बॉलीवुड का सिनेमा हिंदी दर्शकों के लिए हाशिये पर चला गया है। कोविड-19 के बाद जब सिनेमाघर खुले तो एक तरफ जहां हिंदी की फिल्में धड़ाधड़ पिटीं, वहीं साउथ की फिल्मों के लिए दर्शक जुटते दिखाई दिए। टीवी चौनलों पर पहले ही साउथ का सिनेमा डब होकर कब्जा कर चुका था और हिंदी चौनलों ने नई बॉलीवुड फिल्में खरीदना लगभग बंद कर दिया था।
अब साउथ में शुरू प्रमोशन
सिनेमाघरों में ही नहीं, ओटीटी पर भी बॉलीवुड सिनेमा को साउथ से चुनौती मिली और यहां तमिल-तेलुगु के साथ कन्नड़ और मलयालम फिल्मों ने अपनी धाक जमाई। साउथ की रीमेक फिल्मों में काम करके करोड़ों कमाने वाले अजय देवगन और अक्षय कुमार जैसे सितारे कहते रहे कि साउथ की फिल्मों का कोई खतरा हमारे सामने नहीं है। लेकिन उनकी फिल्में पिटी तो सबको खतरा सामने दिखने लगा। अब करण जौहर जैसे निर्माता कह रहे हैं कि सिनेमा को बॉलीवुड और साउथ में बांट कर देखना बंद करना चाहिए और पैन-इंडिया सिनेमा की बात करना चाहिए। यही वजह है कि वह अपनी ब्रह्मास्त्र जैसी फिल्म का प्रमोशन मुंबई, दिल्ली या लखनऊ जैसे शहर में करने के बजाय हैदराबाद में कर रहे हैं।
बाहुबली से बदली तस्वीर
साफ है कि 2015 में आई बाहुबली के बाद बॉलीवुड के सामने साउथ खतरे की तरह सामने आया और इसकी कई फिल्मों ने टिकट खिड़की पर मोटी कमाई की है। यहां जानते हैं उन टॉप 10 फिल्मों को जिन्होंने हिंदी में डब होकर करोड़ों रुपये बॉक्स ऑफिस पर कमाए।
- बाहुबली 2ः द कनक्लूजन (510 करोड़)
- केजीएफः चेप्टर 2 (435 करोड़)
- आरआरआर (276 करोड़)
- 2.0 (189 करोड़)
- साहो (150 करोड़)
- बाहुबलीः द बिगनिंग (115 करोड़)
- पुष्पाः द राइज (109 करोड़)
- केजीएफः चेप्टर 1 (45 करोड़)
- कबाली (28 करोड़)
- कार्तिकेय (24 करोड़)