नई दिल्ली:
स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राष्ट्र के नाम संदेश दिया। राष्ट्रपति ने स्वतंत्रता सेनानियों को याद करते हुए कहा, “स्वतंत्रता दिवस सभी भारतीयों के लिए खुशी का दिन है। इस मौके पर हम अपने असंख्य स्वतंत्रता सेनानियों और क्रांतिकारियों को याद करते हैं।” राष्ट्रपति ने जम्मू-कश्मीर पर बात करते हुए कहा कि हाल में सरकार द्वारा किए गए बदलावों से वहां के रहवासी लाभान्वित होंगे। वे भी अब समानता को बढ़ावा देने वाले प्रगतिशील कानूनों और प्रावधानों का इस्तेमाल कर सकेंगे। सूचना का अधिकार, शिक्षा का अधिकार, वंचितों को शिक्षा और नौकरी में आरक्षण जैसी सुविधाएं मिल सकेंगी। तीन तलाक जैसे अभिशाप से वहां की बहनों को मुक्ति मिलेगी।
राष्ट्रपति ने स्वतंत्रता के वक्त के क्रांतिकारियों को याद करते हुए कहा कि जिन्होंने हमें आजादी दिलाने के लिए महान आदर्श प्रस्तुत किए। जिस महान पीढ़ी के लोगों ने हमें आजादी दिलाई, उनके लिए स्वाधीनता राजनीतिक सत्ता हासिल करने तक सीमित नहीं थी। उनके लिए लोगों का जीवन बेहतर बनाना भी मकसद था।
अगले 5 साल भी संसद इसी तरह उपलब्धियां हासिल करेगी
लोकसभा चुनावों में हिस्सा लेकर आपने इसे सफल बनाया। लोगों ने मताधिकार का प्रयोग किया और मतदान से जुड़ी जिम्मेदारी निभाई। इन चुनावों के माध्यम से हमारे देशवासी अपनी आशा और विश्वास को नई अभिव्यक्ति देते हैं। इसकी शुरुआत आजादी के जज्बे के साथ हुई थी, जिसका अनुभव 15 अगस्त 1947 को सभी देशवासियों ने किया था। उस जज्बे को आगे ले जाने के लिए कंधे से कंधा मिलाकर काम करना सभी की जिम्मेदारी हैं। हाल का संसद का सत्र बेहद सफल रहा। इससे मुझे यह विश्वास है कि आने वाले 5 वर्षों के दौरान संसद इसी तरह से उपलब्धियां हासिल करती रहेगी।
गांधीजी ने पहले ही लगा लिया था चुनौतियों का अनुमान
स्वतंत्रता दिवस सभी भारतीयों के लिए खुशी का दिन है। इस मौके पर हम अपने असंख्य स्वतंत्रता सेनानियों और क्रांतिकारियों को याद करते हैं, जिन्होंने हमें आजादी दिलाने के लिए महान आदर्श प्रस्तुत किए। कुछ ही सप्ताह बाद हम गांधीजी की 150वीं जयंती मनाएंगे। गांधीजी का मार्गदर्शन आज भी उतना ही प्रासंगिक है। उन्होंने हमारी चुनौतियों का अनुमान पहले ही लगा लिया था। वे मानते थे कि पर्यावरण के साथ संतुलन पर जोर दिया। हमारे अनेक प्रयास उनके विचारों को ही यथार्थ रूप देते हैं। सौर ऊर्जा के उपयोग को बनाने पर विशेष जोर देना भी उन्हीं की सोच का हिस्सा है।
130 करोड़ भारतीयों को पैदा करनी होंगी संभावनाएं
मैंने महसूस किया है कि भारत के लोगों की रुचि भले ही अलग-अलग हों, पर सपने एक ही हैं। 1947 से पहले आजादी का लक्ष्य था, आज लक्ष्य विकास की गति तेज होना, शासन का पारदर्शी और कुशल होना है। जनादेश में लोगों की आकांक्षाएं साफ दिख रही हैं। सरकार अपनी भूमिका निभाती है, लेकिन मेरा मानना है कि 130 करोड़ भारतीय अपने कौशल से, क्षमता से और संभावनाएं पैदा कर सकते हैं। भारत के लंबे इतिहास में हमें कई बार चुनौतियों से गुजरना पड़ा है। हमने विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़ा, फिर भी आगे बढ़े। अब परिस्थितियां बदल रही हैं। अनुकूल वातावरण में देशवासी जो लक्ष्य हासिल कर सकते हैं, वह कल्पना से भी परे है।