सरस्वती योजना हुई मटियामेट : छात्राओं को 8 महीने बाद भी नहीं मिली साइकिल, पैदल स्कूल जाने के लिए मजबूर

रायपुर : प्रदेश में हाईस्कूल की छात्राएं 8-10 किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल जाने के लिए मजबूर हैं. वहीं एक सर्वे के दौरान पता चला है कि स्कूल दूर होने के कारण कुछ छात्रों ने स्कूल जाना ही छोड़ दिया है. वहीं इस समस्या से निजात पाने के लिए सरस्वती योजना के तहत हाई स्कूल में प्रवेश पाने वाली छात्राओं को साइकिल दिया जाता है लेकिन सरकारी उदासीनता ओर टेंडर प्रक्रिया में देरी के कारण छात्राओं को कभी भी समय पर साइकिल नहीं मिला.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक शिक्षा सत्र खत्म होने जा रहा है अगले कुछ महीनों में परीक्षाएं भी हो जायेंगी लेकिन योजना के तहत छात्राओं को मिलने वाली साइकिल का कोई अता-पता नहीं है.

30-35 प्रतिशत छात्राओं ने छोड़ा स्कूल जाना

एक रिपोर्ट के मुताबिक 8वीं से 9वीं में प्रवेश लेने वाली छात्राओं की संख्या 65 से 70 प्रतिशत थी. 35-40 प्रतिशत छात्राएं स्कूल 8 से 10 किलोमीटर दूर होने के कारण पढ़ाई छोड़ देती थी. सरस्वती योजना आने के बाद इन आंकड़ों में गिरावट देखने को मिली थी. लेकिन टेंडर में लेट लतीफी के कारण 9वीं कक्षा में मिलने वाली साइकिल कई बार 10वीं में प्रवेश पाने के बाद छात्राओं को साइकिल मिली.

इसलिए नहीं हो रही सप्लाई

जानकारी के मुताबिक 2 फर्मों को इसका टेंडर दिया गया है, उनका कहना है कि चुनाव होने के कारण इस प्रक्रिया में देरी हुई है. वहीं एक फर्म का कहना है कि सप्लाई चालू कर दिया गया है.

वादे या सरकारी जुमले ?

कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में वादा किया था कि अब तक सिर्फ छात्राओं को साइकिल दिया जाता था चुनाव जीतने के बाद छात्रों को भी साइकिल वितरित किया जायेगा. लेकिन आलम ये है कि छात्राओं को भी साइकिल समय से नहीं मिल रहा है.

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इस मामले में स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. अलोक शुक्ला का कहना है कि- ‘साइकिल वितरण के संबंध में अधिकारियों से जानकारी ली गई है, जल्द ही साइकिल वितरण प्रक्रिया शुरू हो जाएगी.’

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