मुंबई: बांद्रा स्टेशन पर लॉकडाउन को तोड़कर अपने मूल राज्यों में लौटने को लेकर विभिन्न राज्यों के प्रवासी मजदूर बड़ी संख्या में इकट्ठा हुए हैं। जिसके बाद पुलिस और स्थानीय नेताओं के हस्तक्षेप के बाद भीड़ को तितर-बितर भी किया गया। दरअसल, देशभर में कोरोना के फैल रहे आंकड़ों को देखते हुए फिर से तीन मई तक लॉकडाउन को बढ़ा दिया गया है। पहले भी इस तरह की तस्वीरें दिल्ली सहित कई शहरों से आई थी। लॉकडाउन की वजह से हजारों की संख्या में उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल सहित अन्य राज्यों के प्रवासी मजदूर अलग-अलग महानगरों में फंसे हुए हैं।
लोगों के सड़क पर आने से कोरोना के फैलने का खतरा बढ़ गया है। ये लोग खाने की समस्या बता रहे हैं और घर भेजने की मांग कर रहे हैं। कोरोना से बुरी तरह प्रभावित मुंबई में इस कदर भीड़ का उमड़ना काफी चिंताजनक है।
भोजन या आश्रय नहीं, घर वापस जाना चाहते हैं: ठाकरे
इसके बाद महाराष्ट्र के मंत्री आदित्य ठाकरे ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि बांद्रा स्टेशन और गुजरात के सूरत की स्थिति बराबर है। इसके लिए संघ सरकार जिम्मेदार हैं। केंद्र द्वारा प्रवासी श्रमिकों के घर वापस जाने की व्यवस्था करने में सक्षम नहीं होने का यह परिणाम है। दरअसल, ये भोजन या आश्रय नहीं, घर वापस जाना चाहते हैं। राज्य के विभिन्न आश्रय शिविरों में 6 लाख से अधिक लोगों को रखा गया है। इनमें से कई अब खाने या रहने से इंकार कर रहे हैं।
आनंद विहार बस अड्डे पर भी प्रवासी मजदूर हुए थे जमा
इससे पहले भी 25 मार्च को हुए लॉकडाउन के बाद दिल्ली के आनंद विहार बस अड्डे पर प्रवासी मजदूरों की भारी भीड़ जमा हो गई थी। कई प्रवासी श्रमिक पैदल ही घर जाने को मजबूर हो गए। जिसके बाद उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से दिल्ली-यूपी सीमा से राज्य के भिन्न-भिन्न जिलों के लिए बसों की व्यवस्था की गई थी।
वर्ल्ड बैंक ने जाहिर की थी चिंता
इससे पहले 12 मार्च को विश्व बैंक ने कहा था कि घर लौट रहे प्रवासी मजदूर अप्रभावित राज्यों एवं गांवों में कोरोना वायरस फैलाने के कारक बन सकते हैं। देश के जिन इलाकों में ये लोग लौट रहे हैं वहां भी कोविड-19 के मामले सामने आ सकते हैं।