क्या छत्तीसगढ़ में एक और जिला बनेगा, भानुप्रतापपुर उपचुनाव की घोषणा के बाद बढ़ी सियासी हलचल

रायपुर/कांकेर: भानुप्रतापपुर जिला बनेगा। क्या भानुप्रतापपुर भी जिला बनेगा। क्या भानुप्रतापपुर अंतागढ़ और पखांजूर को मिलाकर जिले का ऐलान किया जा सकता है। ये ऐसे सवाल हैं जो उपचुनाव के ऐलान के साथ लोगों के मन में हैं। या कहें कि लोगों के मन से बाहर आकर चौक-चौराहों, ठेले-गुमटियों में चर्चा में आ गए हैं।

भानुप्रतापपुर, अंतागढ़ और पखांजूर के लोगों की जिला बनाने की पुरानी मांग रही है, इसलिए कह सकते हैं कि उनकी यह ललक भी जाग गई है। इसके पीछे जो कारण है, वह आप जानते हैं कि खैरागढ़ उपचुनाव के दौरान सीएम भूपेश बघेल ने खैरागढ़ छुईखदान गंडई को जिला बनाने का ऐलान किया था, इसलिए लोग इस उम्मीद से हैं कि चुनाव के दौरान सरकार जिला बनाने का ऐलान कर सकती है।

भानुप्रतापपुर ही रह गया जिला बनने से

जानकारी के मुताबिक अविभाजित बस्तर जिले में आठ तहसीलें थीं। यह छत्तीसगढ़ राज्य बनने से भी 15-20 साल पहले 80 के दशक की बात है। इनमें भानुप्रतापपुर के अलावा कांकेर, कोंडागांव, नारायणपुर, जगदलपुर, दंतेवाड़ा, कोंटा और बीजापुर शामिल हैं। नाम पढ़कर ही आपको यह पता चल गया होगा कि ये सभी अब जिले हैं। (कोंटा सुकमा जिले में आता है।) भौगोलिक की दृष्टि से भी भानुप्रतापपुर बड़ा है। यह भी तर्क है कि कई जिले ऐसे हैं, जहां सिर्फ 2-3 ब्लॉक हैं। भानुप्रतापपुर को जिला बनाने की स्थिति में या संयुक्त जिला बनाने की स्थिति में भी भानुप्रतापपुर, अंतागढ़, कोयलीबेड़ा, दुर्गकोंदल के अलावा पखांजूर यानी पांच ब्लॉक हो सकते हैं।

एडीएम और एएसपी की भी नियुक्ति

भानुप्रतापपुर और अंतागढ़ में एडिशनल एसपी की नियुक्ति है। वहीं, अंतागढ़ में एडिशनल एसपी के साथ एडिशनल कलेक्टर की भी नियुक्ति की जा चुकी है। भानुप्रतापपुर फॉरेस्ट के लिहाज से ईस्ट और वेस्ट डीएफओ का मुख्यालय है। एडीजे कोर्ट है। कई और विभागों के बड़े दफ्तर संचालित हो रहे हैं। इनमें बिजली, कृषि, जेल, पीडब्यूडी, सिंचाई, पीएचई आदि शामिल हैं।

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