रायपुर:
छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जकांछ) के प्रमुख अजीत जोगी ने कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम पर तीखा हमला बोला है। जोगी ने मरकाम को उन दिनों की याद दिलाई जब वे कोंडगांव सीट से टिकट के लिए उनके (जोगी) के चक्कर लगाते थे। जोगी ने कहा कि शायद वे (मरकाम) वह दिन भूल गए है जब कोंडागांव के बुजुर्ग नेता तरसेम सिंह गिल के माध्यम से टिकट के चक्कर में मेरे सामने सैकड़ो बार साष्टांग हुए हैं और मेरी तारीफ के पुल बांधते हुए थकते नहीं थे। जोगी ने पीसीसी अध्यक्ष को सीमा में रहकर बयान देने की नसीहत भी दी है।
जकांछ प्रमुख ने शुक्रवार को एक बयान जारी कर कहा कि मरकाम मैं स्मरण दिलाना चाहूंगा कि उनके कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्षों राजीव गांधी, सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने मुझे केवल मरवाही और छत्तीसगढ़ का ही नहीं अपितु पूरे भारत का आदिवासी नेता मानकर लगभग 15 वर्षों तक लगातार कांग्रेस के आदिवासी विभाग का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया था।
कांग्रेस में अपेक्षतया नए होने के कारण मरकाम को कांग्रेस के इस इतिहास की जानकारी नही है। मरकाम ऐसी टिप्पणी करके मेरी मरवाही की आदिवासी जनता का अवमानना न करे जिन्होंने मुझे तीन बार वहां चुनाव के दौरान प्रदेश में सर्वाधिक मतों से और चौथी बार भी वहां विपक्ष में सर्वाधिक मतों से विजयी बनाया और कांग्रेस की जमानत जप्त हुई। मरकाम कोंडगांव से बाहर निकलकर जोगीसार और मरवाही जाकर मेरे बारे में पता लगाए तो उनका ज्ञानचक्षु खुल जाएगा। जोगी ने मरकाम को चुनौती देते हुए कहा कि कोंडागांव से वे और मैं मरवाही से इस्तीफा देकर चुनाव लड़े।
मैं मरवाही एक दिन भी नहीं जाऊंगा तो भी मेरी मरवाही की जनता मुझे रिकार्ड मतों से जीताएगी। उनमें हिम्मत है तो इस्तीफा देकर कोंडागांव के आदिवासियों का विश्वास जीतकर दिखाए। मरवाही में उपचुनाव हुआ तो फिर से कांग्रेस की जमानत जप्त हो जाएगी। यदि मैं उनके खिलाफ इस उपचुनाव में प्रचार करूंगा तो उनको अपनी जमानत बचाना मुश्किल होगा।
मरकाम ने कहा था नकली आदिवासी
पीसीसी अध्यक्ष ने गुस्र्वार को एक बयान जारी कर कांग्रेस सरकार विश्व आदिवासी दिवस मना रही है, उसका विरोध करके जोगी ने यह साबित कर दिया है कि वे तकनीकी रूप से ही नकली आदिवासी नहीं है, बल्कि मानसिक रूप से भी आदिवासी विरोधी हैं। फर्जी जाति प्रमाणपत्र पर वर्षों से आदिवासियों का हक मारने वाले जोगी को राज्य में आदिवासियों के मान-सम्मान, उत्सव और प्रतिष्ठा को बर्दाश्त नहीं कर पा रहे।