रायपुर:
अजीत जोगी की जाति के मामले में एक नया ट्विस्ट आ गया है अब इसके बाद उनकी मुश्किलें और बढ़ सकती है. इस मामले में एक नया और बड़ा खुलासा हो गया है. इस खुलासे के बाद जोगी का जाति मामला से बाहर निकलना और भी मुश्किल भरा हो गया है. खुलासा हुआ है सन् 1967-68 में तत्कालीन नायब तहसीलदार रहे पतरस तिर्की के शपथ-पत्र से. पतरस तिर्की ने बिलासपुर जिला न्यायालय में एक शपथ-पत्र देते हुए कहा, कि उन्होंने कभी अजीत जोगी को जाति-प्रमाण पत्र जारी नहीं किया है.
यही नहीं उन्होंने तो यह भी खुलासा किया है सन् 1967-68 में गौरेला-पेंड्रा में नायब तहसीलदार का कार्यालय ही नहीं था. ऐसे में नाम का उपयोग कर अगर अजीत जोगी की ओर से जाति प्रमाण-पत्र जारी करने का प्रमाण दिया जा रहा है, तो वह फर्जी है. मैंने कभी भी जोगी को जाति प्रमाण-पत्र ही जारी नहीं किया है. जब तहसील कार्यालय ही अस्तिव में नहीं आया था. अगर मेरे नाम से वह कोई भी जाति प्रमाण-पत्र पेश करते हैं, तो उनका दावा स्वमेव ही झूठा हो जाता है.