साहेब यहाँ किसी की अर्ज़ी नही चलती, केवल सत्ताधीशों की मर्ज़ी चलती है.

आम कहावत है कि समय बड़ा बलवान होता है। इसी कहावत का चरितार्थ कल राजधानी के कलेक्टोरेट में दिखाई दिया। एक समय था जब राजेश मूणत कद्दावर  मंत्री हुआ करते थे एवं बड़े-बड़े आला अफसर अपनी अर्ज़ियाँ लेकर उनके बंगले के चक्कर लगाते थे। पर समय बदला और पूर्व मंत्री जी को अपनी अर्ज़ी लेकर शहर के कलेक्टर से मिलने जाना पड़ा।

मामला गणेश की झांकियों के स्वागत सत्कार का था।पूर्व मंत्री जी को अपना मंच लगाने की अनुमति लेनी थी। जो कि उनके मन मुताबिक नहीं मिल रही थी। यानी एक कहावत और साबित हुईं की जैसा बोया वैसा काटा। भाजपा के 15 वर्ष लंबे कार्यकाल में कांग्रेसी हमेशा यही शिकायत करते थे कि उन्हें अपना मंच लगाने का स्थान नहीं दिया जा रहा है।

अब हमारे यहां कोई भी आयोजन हो जैसे बच्चे की छठी,नामकरण, शादी-विवाह या कोई छोटे से छोटा धार्मिक आयोजन, हम लोग उसका भी राजनीतिकरण कर देते है। हमारे हर आयोजन में राजनेता मौजूद होते है।या ये कहा जाए कि आयोजन के बहाने शक्ति प्रर्दशन किया जाता है। तो पूर्व मंत्री जी इतना बड़ा आयोजन कैसे हाथ से जाने देते। उन्हें भी तो सत्ता के गलियारों में अपनी उपस्तिथि दर्ज करवानी थी। पर क्या करें जो बोया सो काटा।

मामले का घोषित राजनीतिकरण तो तब हुआ जब पूर्व मंत्री जी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस ले ली। और उनके साथ हुए इस घोर अन्याय का खुलासा मीडिया के सामने कर दिया। साथ ही मीडिया के माध्यम से जनता से माफी भी मांग ली कि अब वे यह आयोजन नहीं कर पाएंगे, तो जनता उन्हें छमा करे।

कुल मिलाकर मामले से पता चला कि समय बड़ा बलवान होता है। जैसा बोओगे वैसा काटोगे। और अंत मे ये की साहेब यहाँ किसी की अर्ज़ी नही चलती, केवल सत्ताधीशों की मर्ज़ी चलती है.

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