भागवत कथा के चौथे दिन बोले जयशंकर : ‘भक्ति से भगवान को पाना अत्यंत सरल’

कृष्ण जन्म के दौरान भगवत मंडप पर वसुदेव ने टोकरी में उठाकर यमुना पार कर श्रीकृष्ण को मथुरा से गोकुल जाकर छोड़ आए, इसे उपस्थित श्रद्धालुओं ने झांकी के रूप में प्रस्तुत किया। जिसे देख कर वहां मौजूद सैकड़ों श्रद्धालु भक्ति से झूम उठे। और भगवान श्रीकृष्ण के जयकारे के साथ नंद के घर आनंद भयो जय कन्हैया लाल की के उदघोष होने लगे।

फारूक मेमन

छुरा : शहर के अमलोर में चल रहे भागवत कथा के दौरान आचार्य जयशंकर महाराज (राजिम वाले) ने कृष्ण जन्म की कथा सुनाते हुए कहा कि भगवान को पाना अत्यंत सरल है, जब सुरदास, काली दास, तुलसीदास, कबीर दास, मीरा, राधा अपने आराध्य को प्राप्त कर सकते हैं तो आज के कलयुग में क्यों नहीं। आचार्य ने कहा कि भगवान को पाना अत्यंत सरल है। इसके लिए दास भाव को होना नितांत आवश्यक है। दास के भाव को समझाते हुए उन्होंने कहा कि समर्पण की भावना ईश्वर के प्रति हो उसे ईश्वर के साक्षात्कार होते हैं। ईश्वर कोई और नहीं उनके विचारों में भिन्नता और प्रत्यक्ष रूप से अहसास कराने वाली ऐेसी शक्ति है जिसे अनुभूति मात्र से गम का वातावरण हर्ष में तब्दील हो जाता है। श्री आचार्य ने कहा कि भगवत भक्ति का प्रसाद हर किसी को मिल जाए यह भी संभव नहीं है। इसलिए जो जिसके भाग्य में होता है उसे ही मिलता है। कृष्ण जन्म का उल्लेख करते हुए आचार्य ने कहा कि भगवान श्री कृष्ण को जन्म देने वाली माता और उनका पालन करने वाली माता दोनों का अशेष प्रेम मिला। यानि हमें भी ऐसा ही प्रेम अपनी संतानों पर करना चाहिए। कलयुग का प्रभाव कितना भी हो माता पर नहीं पड़ सकता। यदि वह धर्मशास्त्रों का अनुशरण करती है तो कलयुग का दुष्प्रभाव उनके आगे निस्प्रभाव हो जाता है।

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झांकी ने मोह लिया मन

कृष्ण जन्म के दौरान भगवत मंडप पर वसुदेव ने टोकरी में उठाकर यमुना पार कर श्रीकृष्ण को मथुरा से गोकुल जाकर छोड़ आए, इसे उपस्थित श्रद्धालुओं ने झांकी के रूप में प्रस्तुत किया। जिसे देख कर वहां मौजूद सैकड़ों श्रद्धालु भक्ति से झूम उठे। और भगवान श्रीकृष्ण के जयकारे के साथ नंद के घर आनंद भयो जय कन्हैया लाल की के उदघोष होने लगे।

मन को केंद्रीत करने मोबाइल से करें तौबा

आचार्य ने व्यासपीठ से कहा कि यदि आप अपने मन को केंद्रीत करना चाहते है तो मोबाइल से तौबा करें, जब जरुरत हो तभी उसका प्रयोग करें। आप यदि उसके आदी हो गए तो आपका मन और दिमाग दोनों हमेशा सक्रिय ही रहेंगे और मनोमस्तिष्क में असंतुलन पैदा करेंगे। जो जीवन के लिए घातक है। इसका असर आपके बच्चों पर भी पड़ेगा। समय रहते नियंत्रण करना जरूरी है।

संगीत की धुन पर थिरके श्रोता

कथा का श्रवण करने पहुंचे सैकड़ों श्रोता भक्ति मय संगीत की धुन पर थिरकते नजर आए। कान्हा कन्हैया तूझे आना पड़ेगा…. हरे कृष्णा हरे कृष्णा की संगीत ने श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। महाआरती के दौरान सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु शरीख हुए। कथा में परीक्षित के रूप में कथा का परायण आचार्य विजय शंकर महाराज ने किया।

परीक्षित के रूप में हरदेलाल साहू, हेमाबाई साहू, श्रीराम कमलाबाई, रामलाल अडारण, श्यामलाल, सावित्री बाई, भुवनलाल, विमला बाई थीं। जबकि संतोष, नूतन, तीजू, संतोषी, मनोज, टिकेश्वरी, ललित सत्यभामा, जितेंद्र सुनीता, पुरुषोत्तम, कविता, नरेंद्र-कुसुम, हेमलाल-संतोषी, ओमकुमार, लोकेश्वर, तारणी, संतराम, सरोज, श्रवण, बिरझा, अश्वनी, दुर्गा, राजू, गिरजा, मन्नू, लता, प्रमोद, रेखा, ऐनसिंग, मीरा, पंकज, पूनम, चंपेश्वर, अंजुला, प्रीतम, प्रीति, राधा, शंतिबाई, मंशाराम, श्याम बाई, घसिया राम, पांचोबाई, तलराम, भारत, दयालु, शत्रुहन, मदन, झामु, संतोष, डीहूराम, बरन, बसंत, चुम्मन, राजू, बंशीराम, ऐशकुमार, संजय, पकंज, भोजा, नंदनी, जया, अमिता, डेविड, सरवी, कुनिका, उत्तम, ऋषभ, प्रिंसी, परी, सोनू, मनीषा सहित कई लोग मौजूद थे।

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