नई दिल्ली : राजनीति का अपराधीकरण रोकने के लिए सुप्रीम ने एक अहम फैसला दिया है. दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि राजनीतिक दल क्रिमिनल बैकग्राउंड वाले अपने नेताओं की जानकारी अपनी वेबसाइट पर दें. इसके साथ ही वो उनके बारे में फेसबुक और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बताएं. साथ ही ऐसे नेताओं के बारे में राजनीतिक पार्टियां कम से कम एक स्थानीय और एक राष्ट्रीय समाचार पत्र में जानकारी दें.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में ये भी कहा है कि राजनीतिक दल क्रिमिनल बैकग्राउंड वाले नेताओं को टिकट देने के 72 घंटे के भीतर इसकी जानकारी चुनाव आयोग को दे और ऐसे लोगों को टिकट देने के पीछे वजह बताए. अगर राजनीतिक दल ऐसा नहीं करते हैं तो इसकी जानकारी सुप्रीम कोर्ट को दी जाए.
गौरतलब है कि पिछले काफी समय से सुप्रीम कोर्ट में इसको लेकर बहस चल रही थी. पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट की बहस में हिस्सा लेते हुए चुनाव आयोग की तरफ से दलील दी गई थी कि इस बारे में राजनीतिक दलों की जिम्मेदारी भी तय की जाए. उनसे पूछा जाना चाहिए कि क्रिमिनल बैकग्राउंड वाले नेताओं को चुनाव में टिकट देने की जरूरत ही क्या है? वो ऐसे उम्मीदवारों को क्यों टिकट देते हैं?
2019 के लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद जीते हुए 539 उम्मीदवारों के बैकग्राउंड का अध्ययन किया गया . 2019 के लोकसभा चुनाव में जीते उम्मीदवारों के आंकड़े से पता चलता है कि चुनाव में क्रिमिनल बैकग्राउंड वाले नेताओं की जीतने की संभावना 15.5 फीसदी रही. वहीं साफ सुथरी छवि वाले नेताओं के जीतने की संभावना सिर्फ 4.7 फीसदी रही.