गरियाबंद: कार्तिक अमावश्या के दिन गोंडी धर्म संस्कृति संरक्षण समिति एवं छत्तीसगढ़ गोंडवाना संघ के संयुक्त तत्वाधान एवं आदिवासी समाज के सहयोग से बड़ादेव शक्तिपीठ देवठाना मदांगमुड़ा विकासखंड मैनपुर में ईशर गवरा विवाह महोत्सव बड़े ही धूम धाम मनाया गया।
आदिवासी संस्कृति को बचाये रखने के लिए समिति एवं संगठन के माध्यम से यह उत्सव संस्कृति के आधार पर मनाया गया। परंपरा अनुसार इस उत्सव में ईशर राजा का विवाह माता गवरा के साथ होता है। समाज के द्वारा विवाह के समस्त नेग दस्तूर विधिवत रूप से किया गया। दोपहर को चुलमाटी लेकर पहुंचे और ईशर राजा व गवरा माता के मूर्ति को मूर्त रूप दिए उसके बाद विवाह की समस्त रश्में मांगनी से लेकर बारात गमन, पाणिग्रहण, टीकावन, बारात वापसी व भोज मैं भी आदिवासी समाज के लोग शामिल हुए, ईशर गवरा विवाह का उद्देश्य ईशर राजा व गवरा माता का विवाह तथा इसमें संदेश दिया गया खर्चीली विवाह पर अंकुश व दहेज प्रथा पर रोक लगाना है।समाज का अपनी संस्कृति को बचाकर रखने का उद्देश्य समाज को संगठित व आपस में मित्रता बनाये रखने का संकल्प लिया गया। संगठन के माध्यम से समाज के पिछड़ने का मुख्य कारण व निदान तथा समाज के विकास पर फोकस भी चर्चा की गई। समिति के माध्यम से समाज के गरीब, असहाय, दीन दुखियों, आपात कालीन समस्या, स्वास्थ्य के साथ साथ मुख्यतः शिक्षा पर विशेष जोर दिया गया। शिक्षा के माध्यम से समाज का विकास सम्भव होने की बाते कहि गई, इसे लेकर आदिवासी समाज के बीच जाकर लोगों को समझाने का काम किया जा रहा है ताकि लोग ऊपर उठ सके।
ईशर गवरा विवाह महोत्सव प्रतिवर्ष बड़े ही धूम धाम से मनाया जाता है लेकिन वर्तमान कोविड-19 के मद्देनजर विगत वर्ष की भांति लोगों को अधिक भीड़ न बढ़ाने हेतु निवेदन किया गया । साथ ही कोविड-19 हेतु मास्क व सेनेटाइजर का पालन करते हुए कार्यक्रम का सफल आयोजन किया गया। यह जानकारी लम्बूधर ध्रुव जिला सचिव गोंडी धर्म संस्कृति संरक्षण समिति जिला गरियाबंद के द्वारा दिया गया।