अंतिम संस्कार में शामिल हुए समाज के पदाधिकारी भरत दीवान, मनीष ध्रुव एवं नरेंद्र ध्रुव
गरियाबंद – हाथी द्वारा गरीब आदिवासी युवक को पटक-पटक कर मारने के बाद आदिवासी समाज इस मुद्दे को लेकर खासा नाराज है उनका कहना है कि वन विभाग अगर पर्याप्त व्यवस्था रखता तो हाथी को गांव में घुसने से रोका जाता तो शायद युवक हेमलाल मरकाम की जान बच सकती थी
आदिवासी समाज के बड़े जनप्रतिनिधियों ने आज मृतक के परिजनों से मिलकर उन्हें ढाढस बंधाया वही वन विभाग के अधिकारियों से निर्धारित 6 लाख रुपए का मुआवजा जल्द से जल्द परिवार वालों को दिलाने की मांग की आदिवासी समाज के पदाधिकारि भरत दीवान, मनीष ध्रुव तथा नरेंद्र ध्रुव ने युवक के भाई को वन विभाग में नौकरी दिए जाने की मांग भी वन विभाग के अधिकारियों से की है उनका कहना है कि परिवार में कमाने वाला चला गया अब परिवार की आर्थिक स्थिति ना बिगड़े इसलिए परिवार के एक सदस्य को कम से कम चपरासी की नौकरी दिए जाने की जरूरत है
हम आपको बता दें कि बीती रात गांव के गौठान में बैठे तीन दोस्तों को अचानक हाथी ने दौड़ाया एक दोस्त को सूंड से उठाकर कई बार पटक कर उसकी जान ले ली तो वही जो दोस्तों ने भाग कर अपनी जान बचाई इसके बाद हाथी गांव की गलियों में घूमता रहा फिर एक अन्य गांव में जाकर आंगनबाड़ी में तोड़फोड़ मचाया।
खास बात यह है कि यह हाथी के हमले में गरियाबंद जिले में हुई पहली मौत नहीं थी इसके पहले लगभग 3 लोगों को हाथ की मार चुके हैं 2 माह पहले सुहागपुर में भी एक युवक को भाई हाथियों के दल ने कुचल कर मार डाला था। इसके पहले थूहा पानी गांव के पास भी हाथी ने खेत में चौकीदारी कर रहे बुजुर्ग को मार दिया देखा जाए तो पिछले दो-तीन साल से गरियाबंद जिले में भी इस तरह की घटनाएं होने लगी है इस वक्त देखा जाए तो देवभोग विकासखंड को छोड़कर बाकी सभी विकासखंड में हाथियों का आना जाना लगा रहता है जंगल में आया यह विशाल का नया मेहमान लोगों के लिए मुसीबत का कारण बन रहा है
इलाके को हाथी के आतंक से जल्द मुक्ति दिलाए वन विभाग-मनीष ध्रुव
इस संबंध में आदिवासी समाज के पदाधिकारी एवं गरियाबंद सरपंच संघ अध्यक्ष मनीष ध्रुव का कहना है कि हमारे यहां सुहागपुर में भी एक युवक की जान हाथी ले चुका है अब भरवामुड़ा में मैं भी आदिवासी समाज के एक युवक की जान ली है वन विभाग हाथी के आतंक से मुक्ति नहीं दिला पा रहा है हाथी लोगों की फसल को भी भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं तो वही जान का जोखिम भी बना रहता है। इस इलाके के लिए यह नया खतरा बना हुआ है क्योंकि यहां के लोग हाथी के व्यवहार को नहीं समझते हाथी दिखने पर क्या करना है कैसे उससे जान बचानी है यह नहीं जानते वन विभाग को लोगों को इस संबंध में जानकारी देनी चाहिए और ऐसे प्रयास करना चाहिए कि हाथी अगर आ भी जाए तो जंगल में रहे गांव की ओर ना आए।